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सागर तट पर बैठ अकेला रटता तेरा नाम कब आएगा तू गिरधारी देर हुई घनश्याम

जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है

हे लाडली सुध लीजे हमारी हे राधा रानी हे श्यामा प्यारी

झूला झूलो री राधे रानी झुलाने तेरा श्याम आया रे