Tuesday, May 31, 2016

राधे राधे जपा करो कृष्ण नाम रस पीया करो

राधे राधे जपा करो कृष्ण नाम रस पीया करो
राधे राधे जपा करो कृष्ण नाम रस पीया करो
राधे देगी तुमको शक्ति , मिलेगी तुमको कृष्ण की भक्ति
राधे , कृपा दृष्टि बरसाया करो , कृष्ण नाम रस पिया करो

राधे रानी है महारानी , महिमा उनकी सब जग जानी
राधे , चरणों में प्रीती किया करो , कृष्ण नाम रस पिया करो

भोली भाली सीधी सादी , वो है सबसे न्यारी न्यारी
राधे , चरणों में शीश जुकाया करो , कृष्ण नाम ……

राधे जू मै शरण तिहारी , तुम्हारी कृपा से मिले बिहारी
राधे , राधे शरण में जाया करो , कृष्ण नाम रस ….

ब्रिज मंडल में गूंज है राधे वो है कृष्ण की प्राण आराधे
ऐसी युगल छवि पे बलि जाया करो ,कृष्ण नाम … …….

राधे राधे जपा करो कृष्ण नाम रस पीया करो |





ये तो प्रेम की बात है उधो

यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।
यहाँ सर देके होते सौदे,
आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥

प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,
उनकी पूजा में सुन ले ए उधो।
यहाँ दम दम में होती है पूजा,
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है॥

जो असल में हैं मस्ती में डूबे,
उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की।
जो उतरती है चढ़ती है मस्ती,
वो हकीकत में मस्ती नहीं है॥

जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,
वो तो रहते हैं जग से न्यारे।
जिसकी नज़रों में मोहन समाये,
वो नज़र फिर तरसती नहीं है॥


यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।
यहाँ सर देके होते सौदे,
आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

साँवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वोतो मीरा का भी श्याम

जमुना की लहरें बंसीबट की छैयां
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया
श्याम का दीवाना तो सारा बृज धाम
लोग करें मीरा को ...

कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाए
जिसके मन भाए वो उसी के गुण गाए
कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम
राधा का भी ...


नैनन में श्याम समाए गयो

नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।

लुट जाउंगी श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाउंगी लाल तेरी मटकन पे ।
मोरे कैल गरारे भाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥

मर जाउंगी काहन तेरी अधरन पे,
मिल जाउंगी तेरे नैनन पे ।
वो तो तिर्शी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥

बलिहारी कुंवर तेरी अलकन पे,
तेरी बेसर की मोती छलकन पे ।
सपने में कहा पत्राए गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥

पागल को प्यारो वो नंदलाला,
दीवाना भाए है जाके सब ग्वाला ।
वो तो मधुर मधुर मुस्काये गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥

जब गिरते हुए मैंने तेरे नाम लिया है।
तो गिरने ना दिया तूने, मुझे थाम लिया है॥

तुम अपने भक्तो पे कृपा करती हो, श्री राधे।
उनको अपने चरणों में जगह देती  हो श्री राधे।
तुम्हारे चरणों में मेरा मुकाम हो जाए॥

मांगने वाले खाली ना लौटे, कितनी मिली खैरात ना पूछो।
उनकी कृपा तो उनकी कृपा है, उनकी कृपा की बात ना पूछो॥

ब्रज की रज में लोट कर, यमुना जल कर पान।
श्री राधा राधा रटते, या तन सों निकले प्राण॥

गर तुम ना करोगी तो कृपा कौन करेगा।
गर तुम ना सुनोगी तो मेरी कौन सुनेगा॥

डोलत फिरत मुख बोलत मैं राधे राधे, और जग जालन  के ख्यालन से हट रे।
जागत, सोवत, पग जोवत में राधे राधे, रट राधे राधे त्याग उरते कपट रे॥

लाल बलबीर धर धीर रट राधे राधे, हरे कोटि बाधे रट राधे झटपट रे।
ऐ रे मन मेरे तू छोड़ के झमेले सब, रट राधे रट राधे राधे रट रे॥

श्री राधे इतनी कृपा तुम्हारी हम पे हो जाए।
किसी का नाम लूँ जुबा पे तुम्हारा नाम आये॥

वो दिन भी आये तेरे वृन्दावन आयें हम, तुम्हारे चरणों में अपने सर को झुकाएं हम।
ब्रज गलिओं में झूमे नाचे गायें हम, मेरी सारी उम्र वृन्दावन में तमाम हो जाए॥

वृन्दावन के वृक्ष को, मर्म ना जाने कोई।
डार डार और पात पात में, श्री श्री राधे राधे होए॥

अरमान मेरे दिल का मिटा क्यूँ नहीं देती, सरकार वृन्दावन में बुला क्यूँ नहीं लेती।
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार बार, चरणों में अपने हमको बिठा क्यूँ नहीं लेती॥

श्री वृन्दावन वास मिले, अब यही हमारी आशा है।
यमुना तट छाव कुंजन की जहाँ रसिकों का वासा है॥

सेवा कुञ्ज मनोहर निधि वन, जहाँ इक रस बारो मासा है।
ललिता किशोर अब यह दिल बस, उस युगल रूप का प्यासा है॥

मैं तो आई वृन्दावन धाम किशोरी तेरे चरनन में।
किशोरी तेरे चरनन में, श्री राधे तेरे चरनन में॥

ब्रिज वृन्दावन की महारानी, मुक्ति भी यहाँ भारती पानी।
तेरे चन पड़े चारो धाम, किशोरी तेरे चरनन में॥

करो कृपा की कोर श्री राधे, दीन जजन की ओर श्री राधे।
मेरी विनती है आठो याम, किशोरी तेरे चरनन में॥

बांके ठाकुर की ठकुरानी, वृन्दावन जिन की रजधानी।
तेरे चरण दबवात श्याम, किशोरी तेरे चरनन में॥

मुझे बनो लो अपनी दासी, चाहत नित ही महल खवासी।
मुझे और ना जग से काम, किशोरी तेरे चरण में ॥

किशोरी इस से बड कर आरजू -ए-दिल नहीं कोई।
तुम्हारा नाम है बस दूसरा साहिल नहीं कोई।
तुम्हारी याद में मेरी सुबहो श्याम हो जाए॥

यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा।
तेरी दया पर यह जीवन है मेरा, मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा॥

ना पूछो किये मैंने अपराध क्या क्या, कही यह जमीन आसमा हिल ना जाये।
जब तक श्री राधा रानी शमा ना करोगी, मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा॥

बहुत ठोकरे खा चूका ज़िन्दगी में, तमन्ना तुम्हारे दीदार की है।
जब तक श्री राधा रानी दर्शा ना दोगी, मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा॥

तारो ना तारो मर्जी तुम्हारी, लेकिन मेरी आखरी बात सुन लो।
मुझ को श्री राधा रानी जो दर से हटाया, तुम्हारे ही दर पे मैं दम तोड़ दूंगा॥

मरना हो तो मैं मरू, श्री राधे के द्वार,
कभी तो लाडली पूछेगी, यह कौन पदीओ दरबार॥

आते बोलो, राधे राधे, जाते बोलो, राधे राधे।
उठते बोलो, राधे राधे, सोते बोलो, राधे राधे।
हस्ते बोलो, राधे राधे, रोते बोलो, राधे राधे॥

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने

मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2
ये में जानू या वो जाने-2
ओ छलिया से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या वो जाने-2
मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या वो जाने

हर बात निराली हे उसकी, हर बात में है एक टेढ़ा पन-2
हर बात में है एक टेढ़ा पन-2
टेढ़े पर दिल क्यों लगाया है ये-2 में जानू या तू जाने-2
टेढ़े पर दिल क्यों लगाया है ये में जानू या तू जाने

ओ मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2
जितना दिल ने तुझे याद किया, उतना जग ने बदनाम किया-2
उतना जग ने बदनाम किया-2
बदनामी का फल क्या पाया है-2 में जानू या वो जाने-2
ओ मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या वो जाने-2

तेरे प्यार ने दिल दीवाना किया, मुझे इस जग से बेगाना किया-2
मुझे इस जग से बेगाना किया-2
मेने क्या खोया क्या पाया है-2 में जानू या तू जाने-2
मेने क्या खोया क्या पाया है, में जानू या तू जाने
ओ मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2

मिलता भी है वो मिलता ही नहीं, नजरों से मेरी हटता ही नहीं-2
नजरों से मेरी हटता ही नहीं-2
ये केसा जादू चलाया है-2 ये में जानू या वो जाने-2
ये केसा जादू चलाया है-2 ये में जानू या वो जाने
ओ मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2

छलिया से दिल क्यों लगाया-2 है ये, में जानू या वो जाने-2
टेडे पे दिल लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2
ओ मोहन से दिल क्यों लगाया है ये, में जानू या तू जाने-2















बांके बिहारी की देख छटा,मेरो मन है गयो लटा पटा

बांके बिहारी की देख छटा,मेरो मन है गयो लटा पटा।

कब से खोजूं बनवारी को, बनवारी को, गिरिधारी को।
कोई बता दे उसका पता, मेरो मन है गयो लटा पटा॥

मोर मुकुट श्यामल तन धारी, कर मुरली अधरन सजी प्यारी।
कमर में बांदे पीला पटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥

पनिया भरन यमुना तट आई, बीच में मिल गए कृष्ण कन्हाई।
फोर दियो पानी को घटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥

टेडी नज़रें लत घुंघराली, मार रही मेरे दिल पे कटारी।
और श्याम वरन जैसे कारी घटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥

मिलते हैं उसे बांके बिहारी, बांके बिहारी, सनेह बिहारी।
राधे राधे जिस ने रटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥


भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बाँध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है।

मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले

मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।
मेरी साँस साँस में तेरा, है नाम मुरली वाले।
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।

भक्तो की तुमने कान्हा विपदा है टारी
मेरी भी बाह थामो आ के बिहारी।
बिगड़े बनाए तुमने, हर काम मुरली वाले॥
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।

पतझड़ है मेरा जीवन, बन के बहार आजा।
सुन ले पुकार कान्हा बस एक बार आजा।
बैचैन मन के तुम्ही आराम मुरली वाले॥
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।

तुम हो दया के सागर, जनमों की मैं हूँ प्यासी।
दे दो जगह मुझे भी, चरणों में बस ज़रा सी।
सुबह तुम्ही हो, तुम्ही ही मेरी श्याम मुरली वाले॥
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।

मेरी साँस साँस में तेरा, है नाम मुरली वाले।
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले।
मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले॥

इच्छा ही सब दुःखों का मूल है।
— गौतम बुद्ध


फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी

फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
और साथ सज रही हैं, वृषभान की दुलारी॥

टेढ़ा सा मुकुट सर पर, रखा है किस अदा से।
करुणा बरस रही है, करुणा भरी निगाह से।
बिन मोल बिक गयी हूँ जब से छवि निहारी॥
फूलो से सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।

बैंयां गले में डाले, जब दोनों मुस्कराते।
सबको ही प्यारे लगते, सबके ही मन को भाते।
इन दोनों पे मैं सदके, इन दोनों पे मैं वारी॥
फूलो से सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।

श्रृंगार तेरा प्यारे, शोभा कहूँ क्या उसकी।
इतपे गुलाबी पटका, उतपे गुलाबी साड़ी॥
फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।

नीलम से सोहे मोहन, स्वर्णिम सी सोहे राधा।
इत नन्द का है छोरा, उत भानु की दुलारी॥
फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।

चुन चुन के कलियाँ जिसने, बंगला तेरा बनाया।
दिव्य आभूषणों से जिसने तुझे सजाया।
उन हाथों पे मैं सदके, उन हाथों पे मैं वारी॥
फूलो से सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।


फूलो सें सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
और साथ सज रही हैं, वृषभान की दुलारी॥

कैसा चक्कर चलाया रे श्याम तेरी ऊँगली ने

संगीत.....................१२३ कैसा चक्कर चलाया रे श्याम तेरी ऊँगली ने कैसा चक्कर चलाया रे श्याम तेरी ऊँगली ने कैसा चक्कर चलाया रे श्याम...