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अपने सब रूठे चाहे हो बदनामी

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

बनवारी ओ मोहन मुरारी

मोर मुकुट सर कनंन कुंडल

जरी की पगड़ी बांधे सुन्दर आँखों वाला

नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा श्यामसुन्दर मुख चंदा भजो रे मन गोविंदा