मोर मुकुट सर कनंन कुंडल, नैन रसीले मुख शशि मंडल
हरी सम और न कोई रे, सखी मेरो प्रीतम सोई रे
मधुर मुरलिया अधरन राजे, गल बैजंती माला साजे
हरी सम..................................................................
श्री पति हरी श्री वर्धन, श्री युत श्री नारायण
प्रभु के श्री चरणन में मोश्री हिन् को वंदन
कोश्तुभ मणि श्री वत्स की रेखा, ऐसा श्रीधर और ना देखा
श्री शर्वांग संजोई रे
सखी मेरो...............................................................
नील कलेवर, पत पीताम्बर अंग धरे, कान्हा कुंजन केलि करे
पद से गंग प्रवाहित अंतर स्थापित राधा,
मार्ग में अनगित सखियाँ, मिलन में केवल बाधा
नतसिख्वर नल कहत न आवे, कोटिक मन मथ देख लजावे
देखत सुध बुध खोई रे
सखी मेरो...............................................................
हरी सम और न कोई रे, सखी मेरो प्रीतम सोई रे
मधुर मुरलिया अधरन राजे, गल बैजंती माला साजे
हरी सम..................................................................
श्री पति हरी श्री वर्धन, श्री युत श्री नारायण
प्रभु के श्री चरणन में मोश्री हिन् को वंदन
कोश्तुभ मणि श्री वत्स की रेखा, ऐसा श्रीधर और ना देखा
श्री शर्वांग संजोई रे
सखी मेरो...............................................................
नील कलेवर, पत पीताम्बर अंग धरे, कान्हा कुंजन केलि करे
पद से गंग प्रवाहित अंतर स्थापित राधा,
मार्ग में अनगित सखियाँ, मिलन में केवल बाधा
नतसिख्वर नल कहत न आवे, कोटिक मन मथ देख लजावे
देखत सुध बुध खोई रे
सखी मेरो...............................................................
मोर मुकुट सर कनंन कुंडल, नैन रसीले मुख शशि मंडल
हरी सम और न कोई रे, सखी मेरो प्रीतम सोई रे
मधुर मुरलिया अधरन राजे, गल बैजंती माला साजे
हरी सम..................................................................
Comments
Post a Comment