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जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है

हे लाडली सुध लीजे हमारी हे राधा रानी हे श्यामा प्यारी

झूला झूलो री राधे रानी झुलाने तेरा श्याम आया रे

सावन की बरसी ठंडी फूहार पेड़ों पे झूलों की लगी कतार राधा झूला झूल रही संग श्याम के