संगीत......................१२३
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
संगीत......................१२३
नहीं चाहि ये ये दुनिया के
निराले रंग ढंग मुझको
नहीं चाहि ये ये दुनिया के
निराले रंग ढंग मुझको
निराले रंग ढंग मुझको
निराले रंग ढंग मुझको
चली जाऊँ मैं खाटू जी
चली जाऊँ मैं खाटू जी
तेरा श्रृंगार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
नहीं चाहि ये ये दुनिया के
निराले रंग ढंग मुझको
नहीं चाहि ये ये दुनिया के
निराले रंग ढंग मुझको
निराले रंग ढंग मुझको
निराले रंग ढंग मुझको
चली जाऊँ मैं खाटू जी
चली जाऊँ मैं खाटू जी
तेरा श्रृंगार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
संगीत......................१२३
जगत के साज बाजों से
हुए हैं कान अब बहरे
जगत के साज बाजों से
हुए हैं कान अब बहरे
हुए हैं कान अब बहरे
हुए हैं कान अब बहरे
कहाँ जाके सुनू बंशी
कहाँ जाके सुनू बंशी
मधुर वो तान काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के साज बाजों से
हुए हैं कान अब बहरे
जगत के साज बाजों से
हुए हैं कान अब बहरे
हुए हैं कान अब बहरे
हुए हैं कान अब बहरे
कहाँ जाके सुनू बंशी
कहाँ जाके सुनू बंशी
मधुर वो तान काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
संगीत......................१२३
जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का
तेरे भगतों से हो प्रीति
तेरे भगतों से हो प्रीति
श्याम परिवार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का
तेरे भगतों से हो प्रीति
तेरे भगतों से हो प्रीति
श्याम परिवार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
संगीत......................१२३
जगत की झूटी रौनक से
हैं आँखें भर गयी मेरी
जगत की झूटी रौनक से
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी
चले आओ मेरे मोहन
चले आओ मेरे मोहन
दरश की प्यास काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
SONG
LINK:
https://www.youtube.com/watch?v=RmxyvfdUZSc
जगत की झूटी रौनक से
हैं आँखें भर गयी मेरी
जगत की झूटी रौनक से
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी
चले आओ मेरे मोहन
चले आओ मेरे मोहन
दरश की प्यास काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
क्यूं भटकूँ गैरों के दर पे
तेरा दरबार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं
तेरा दीदार काफी है
https://www.youtube.com/watch?v=RmxyvfdUZSc
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